राहुल गाँधी नरेन्द्र मोदी के कार्यशैली पर नतमस्तक होते हुए.
वैसे विदेश, कभी कभार दिल्ली और अभी वाराणसी: मोदी जी आजकल सारे काम काज छोड़ कर उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करने में जुटे है। विकास के जुमलो में डूबी उनकी विजय गाथा जुमलो तक ही सिमित रहती है। ट्विटर में पैसे देके अपनी हर बात को ट्रेंड करवा देने में भी वो महारत रखते है। वैसे ये खूबी औरो में भी है, पर फिलहाल मुद्दा अलग है। मोदी जी कहते है की अपने इतने दिनों के प्रधान मंत्री कार्यकाल में उन्होंने कभी छुट्टी नहीं ली। विदेश यात्रा के दौरान धार्मिक स्थलों के दर्शन करने जाना कोई छुट्टी में तो नहीं आता। अपनी माँ से पूरा मीडिया लेकर मिलने जाने के लिए भी छुट्टी की आवयश्यकता नहीं होती। और तो और, प[प्रधान मंत्री होने के बावजूद पूरा काम धाम छोड़ कर अपनी राजनीतिक पार्टी के प्रचार में दो महीने से सिर्फ भाषण में जुटे रहने के लिए अवकाश की तनिक भी आवयश्यकता नहीं होती।
एक भक्त होने के नाते हम भी ये मानते है की उन्होंने कभी छुट्टी नहीं ली।
क्या कहा आपने? हम गलत कह रहे है? जी बिलकुल नहीं। बस बात इतनी है की आप देशद्रोही है।
बैंगलोर: आईटी कंपनी में कार्यरत एक २९ साल का युवक मोदी जी की भक्ति में लीं होने के कारण अपनी नौकरी से हाथ गांव बैठा। ऑफिस से ज्यादा गायब रहने पर उसकी कंपनी के HR(ये कंपनी का वो डिपार्टमेंट होता है, जो रोज़ क्या करता है, बस वही जानता है। ) ने जब उससे पुछा की भाई आते क्यों नहीं? तो युवक बोल उठा की ना आने का ये मतलब नहीं है की मैंने छुट्टी ली है, मैं तो कभी अपनी माँ से मिलने जाता हूँ अब मेरे पास प्राइवेट हेलीकाप्टर नहीं है तो ट्रैन में टाइम ज्यादा लगता है। कभी थाईलैंड, बैंकाक के ऑफिस टूर पे जाता हूँ। पर छुट्टी कभी नहीं ली। ये पूछे जाने पर की आखिर वो छुट्टी किसे मानता है? युवक बोला की छुट्टी वो होती है जो मोदी जी नहीं लेते। विश्व भ्रमण के बाद भी, माँ से मिलने के लिए भी वो छुट्टी कभी नहीं लेते। दो महीने से उत्तर प्रदेश में डेरा जमाय बैठे है पर छुट्टी? कभी नहीं। मैं उन्ही का शिष्य हूँ। जीवन में कुछ भी करूँ पर छुट्टी कभी नहीं लूंगा। फिर युवक के साथ वही हुआ जो भाजपा के साथ दिल्ली और बिहार में हुआ।